महर्षि दुर्बासा का नाम तो लगभग हर भारतीय जनता हैं. और कुछ को उनकी कहानिया भी पता हैं. लेकिन इस महर्षि कि तपो भूमि कंहा हैं बहुत ही काम लोगो को पता हैं.
आजमगढ़ मुख्यालय से ४० किलोमीटर कि दुरी पर बसा हैं एक छोटा सा गाँव. जिसका नाम हैं दुर्वासा . तहसील और ब्लोंक फूलपुर हैं. फूलपुर से दुर्वासा कि दुरी लगभग ७ किलोमीटर हैं. ये वोही फूलपुर(फूलपुर क़स्बा अलग हैं, और तहसील और ब्लाक अलग हैं . जबकि फूलपुर रेलवे स्टेशन को खुरासान रोड के नाम से जाना जाता हैं.) जंहा के कैफ़ी आज़मी (कैफ़ी आज़मी जी के गाँव का नाम मेजवा हैं, जो कि खुरासान रोड [फूलपुर से ३ किलोमीटर कि दुरी पर हैं.]) साहेब और उनकी बेटी शबाना आज़मी जी हैं.
दुर्वासा गाँव टौंस और मगही नदी के संगम पर बसा हैं. एक तरफ भगवान शिव का मंदिर जिनको रिख्मुनी के नाम से स्थानिया लोग पुकारते हैं, तो नदी के पार महर्षि दुर्बासा जी का मंदिर या कह ले कि आश्रम. इस आश्रम में दुर्बासा जी तपस्या करते थे.
सप्त ऋषियों में से तीन ऋषियों कि तपो भूमि रही हैं ये जगह. और उसका उदहारण हैं टौंस नदी के किनारे तीन ऋषियों के आश्रम.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन बहुत ही विशाल मेला लगता हैं. और बहुत ही दूर - दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने वाला मेला पुरे तीन दिन तक चलता हैं.
ऋषि अत्री और सती अनसुइया के पुत्र महर्षि दुर्वासा कि अपनी अलग ही पहचान थी. और ये अपने श्राप और क्रोध के लिए ज्यादे जाने जाते हैं.
उत्तर प्रदेश कि सरकार ने इस तीर्थ स्थल पार ध्यान न के बराबर दिया हैं. जिसकी वजह से ये तीर्थ स्थल लोगो कि जानकारी से बहुत दूर हैं.
दुर्बासा जी का एक आश्रम मथुरा में भी हैं.
महर्षि दुर्वासा जी की तपोभूमि आजमगढ़ पर सुन्दर प्रस्तुति... एक जानकारी परख लेख ।
जवाब देंहटाएंबड़ी सुन्दर जानकारी दी गिरी जी ने. हम तो यहाँ गए भी हैं.
जवाब देंहटाएंसप्त ऋषियों में से तीन ऋषियों कि तपो भूमि रही हैं ये जगह. और उसका उदहारण हैं टौंस नदी के किनारे तीन ऋषियों के आश्रम.
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वाकई बड़ी पवित्र जगह है...नमन.
उत्तर प्रदेश कि सरकार ने इस तीर्थ स्थल पार ध्यान न के बराबर दिया हैं. जिसकी वजह से ये तीर्थ स्थल लोगो कि जानकारी से बहुत दूर हैं.....सरकार को मूर्तियों और पार्कों से फुर्सत मिले तो ना.
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