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मंगलवार, दिसंबर 14, 2010

आजमगढ़ महान

वो सिविल लाइन का समां, वो चौक की चाट
वो तकिया का मुर्गा, वह उसमे थी कुछ बात
वो महाबीर की मिठाई, वो डिलाईट का दोसा
वो भवरनाथ की भाँग और रैदोपूर का समोसा
वो रिक्शा का सफर,वो स्टेडीएम का मैदान
त्रिलोकी की चाय,लक्ष्मी की टिकिया
संदीप की दुकान का मिजाज, पल्लू का अंडा
वो ब्रह्मस्थान की जलेबी,पहारपुर और पाण्डेय चौराहा की रौनक
वो जनवरी की कड़ाके की सर्दी, वो बारिशों के महीने
वो गर्मी की छुट्टियाँ,जब छुटते थे पसीने
वो होली की मस्ती, वो दोस्तों की टोली
वो रोडबेज का छोला,वो टौंस नदी की लहरें
वो चिल्ड्रेन कालेज  का   नज़ारा, वह उसके क्या कहने
वो सिधारी की घाठी,वो सिधारी की लाइट
वो शारदा की फिल्मे और डीऐवी की लडकियों के लिए मार
वो स्कुल की लाइफ,और वो कॉलेज की ज़िन्दगी
वो क्लास रूम का रास्ता और वो प्रेंसिपल की आखें
वो समबीम की मार्केट, वो रानी की सराय का डाबा,
वो जज्जी का जाम, वकीलों की मनमानी , वो कलेक्ट्री का लिडराबाद
बम्हौर का असलहा, और नेताओ की खान , यहाँ से बनता बिगड़ता है लखनऊ का ताज
आजमगढ़ महान
है,  ये प्यारा आजमगढ़ महान

लेखक -- अज्ञात
प्रस्तुति -- उपेन्द्र ' उपेन '

7 टिप्‍पणियां:

  1. आजमगढ़ महान है, ये प्यारा आजमगढ़ महान...बहुत खूब लिखा जी. काश कि लिखने वाले का नाम भी पता होता..खैर इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु उपेन जी को बधाई.

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  2. Wo Shibli School ke Principal (daudi ki ) ka danda,
    Wo Murli ki ticket ki lambi line.
    Wo Srima Mishtan wale ke chhole.
    Wo Harivanspur main kiraye ka makan.

    Tabhi to hai Azamgarh Mahan

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  3. मैंने तो आजमगढ़ का नाम सिमी और इन्डियन मुजाहिद्दीन के लिए सुना था . इन्डियन मुजाहिद्दीन का पुराना नाम आजमगढ़ ग्रुप था .

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  4. आप की कविता से मैंने एक नया रूप देखा .
    इतनी प्यारी कविता के लिए लिखने वाले को बहुत बहुत बधाई

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  5. बधाई उपेन्द्र जी ...आपको और रचियता को ....मुझे लगा मेरे शहर की बात हो रही हैं.......यही हिंदुस्तान हैं साहब

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