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शनिवार, नवंबर 22, 2014

युवा साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव को मिलेगा ’दुष्यंत कुमार सम्मान’

प्रसिद्ध साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ’आगमन’ ने आजमगढ़ निवासी लोकप्रिय युवा लेखक व साहित्यकार एवं सम्प्रति इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव को इस वर्ष के ’दुष्यंत कुमार सम्मान-2014’ के लिए चयनित किया है। उक्त सम्मान श्री यादव को 23 नवम्बर को नोएडा में आयोजित आगमन वार्षिक सम्मान समारोह में प्रदान किया जायेगा। उक्त जानकारी संस्था के संस्थापक श्री पवन जैन ने दी।

गौरतलब है कि सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में भी चर्चित श्री यादव की अब तक कुल 7 पुस्तकें 'अभिलाषा' (काव्य-संग्रह, 2005) 'अभिव्यक्तियों के बहाने' व 'अनुभूतियाँ और विमर्श' (निबंध-संग्रह, 2006 व 2007), India Post : 150 glorious years  (2006), 'क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (संपादित, 2007), ’जंगल में क्रिकेट’ (बाल-गीत संग्रह-2012) एवं ’16 आने 16 लोग’(निबंध-संग्रह, 2014) प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर: कृष्ण कुमार यादव‘‘ (सं0 डाॅ0 दुर्गाचरण मिश्र, 2009, आलोक प्रकाशन, इलाहाबाद) भी प्रकाशित हो चुकी  है। श्री यादव देश-विदेश से प्रकाशित तमाम पत्र पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर भी प्रमुखता से प्रकाशित होते रहते हैं।

 कृष्ण कुमार यादव को इससे पूर्व उ.प्र. के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा ’’अवध सम्मान’’, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी द्वारा ’’साहित्य सम्मान’’, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री शेखर दत्त द्वारा ”विज्ञान परिषद शताब्दी सम्मान”, परिकल्पना समूह द्वारा ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लाॅगर दम्पति’’ सम्मान, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाॅक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डाॅ0 अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, वैदिक क्रांति परिषद, देहरादून द्वारा ‘’श्रीमती सरस्वती सिंहजी सम्मान‘’, भारतीय बाल कल्याण संस्थान द्वारा ‘‘प्यारे मोहन स्मृति सम्मान‘‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ”महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला‘ सम्मान”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती रत्न‘‘, अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनन्दन समिति मथुरा द्वारा ‘‘महाकवि शेक्सपियर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान‘‘, भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ द्वारा ’’पं0 बाल कृष्ण पाण्डेय पत्रकारिता सम्मान’’, सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु तमाम सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हो चुकी हैं।   

सोमवार, अक्तूबर 06, 2014

साहित्य में योगदान हेतु पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने कृष्ण कुमार यादव को किया सम्मानित

साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए आजमगढ़ निवासी लोकप्रिय युवा लेखक व साहित्यकार एवं सम्प्रति इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी ने सम्मानित किया। उक्त सम्मान श्री यादव को मिर्जापुर में आयोजित एक कार्यक्रम में 5 अक्टूबर, 2014 को प्रदान किया गया। राज्यपाल ने शाल ओढाकर  और सम्मान पत्र देकर श्री यादव को सम्मानित किया। गौरतलब है कि सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में भी चर्चित श्री यादव की अब तक कुल 7 पुस्तकें 'अभिलाषा' (काव्य-संग्रह, 2005) 'अभिव्यक्तियों के बहाने' व 'अनुभूतियाँ और विमर्श' (निबंध-संग्रह, 2006 व 2007), India Post : 150 glorious years  (2006), 'क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (संपादित, 2007), ’जंगल में क्रिकेट’ (बाल-गीत संग्रह-2012) एवं ’16 आने 16 लोग’(निबंध-संग्रह, 2014) प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर: कृष्ण कुमार यादव‘‘ (सं0 डाॅ0 दुर्गाचरण मिश्र, 2009, आलोक प्रकाशन, इलाहाबाद) भी प्रकाशित हो चुकी  है। श्री यादव देश-विदेश से प्रकाशित तमाम रिसर्च जनरल, पत्र पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर भी प्रमुखता से प्रकाशित होते रहते हैं।



श्री कृष्ण कुमार यादव को इससे पूर्व उ.प्र. के मुख्यमंत्री द्वारा ’’अवध सम्मान’’, परिकल्पना समूह द्वारा ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लाॅगर दम्पति’’ सम्मान, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाॅक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डाॅ0 अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल द्वारा ”विज्ञान परिषद शताब्दी सम्मान”, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, वैदिक क्रांति परिषद, देहरादून द्वारा ‘’श्रीमती सरस्वती सिंहजी सम्मान‘’, भारतीय बाल कल्याण संस्थान द्वारा ‘‘प्यारे मोहन स्मृति सम्मान‘‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ”महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला‘ सम्मान”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती रत्न‘‘, अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनन्दन समिति मथुरा द्वारा ‘‘महाकवि शेक्सपियर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान‘‘, भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ द्वारा ’’पं0 बाल कृष्ण पाण्डेय पत्रकारिता सम्मान’’, सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु शताधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हो चुकी हैं।   

उक्त अवसर पर न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय, पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर  के कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल, इग्नू के प्रो चांसलर प्रो0  नागेश्वर राव, बनारस हिन्दू विश्विद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो0 पंजाब सिंह, भोजपुरी फिल्म अभिनेता कुणाल सिंह, पूर्व शिक्षा मंत्री सुरजीत सिंह डंग सहित तमाम साहित्यकार, शिक्षाविद, संस्कृतिकर्मी व अधिकारीगण मौजूद रहे।

बुधवार, सितंबर 03, 2014

आजमगढ़ मूल के शख्स फ्रैंक इस्लाम की अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने की तारीफ

अमेरिका में भारतीय मूल के फ्रैंक इस्लाम के लिए मंगलवार (2 सितम्बर, 2014) की सुबह उस वक्त यादगार हो गई जब राष्ट्रपति बराक ओबामा का उनके पास फोन आया और ओबामा ने उनकी तारीफ की. ओबामा ने फोन कर इस्लाम को उनके आलीशान आवास में बने पुस्तकालय के डेस्क की तारीफ की जो व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय में डेस्क ‘रेजोल्यूट’ की प्रतिमूर्ति है. गौरतलब है कि रेजोल्यूट डेस्क को सबसे पहले जॉन एफ कैनेडी ने राष्ट्रपति रहने के दौरान रखवाया था और अब ओबामा इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.वाशिंगटन के उपनगरीय इलाके में इस्लाम ने अपने 10 एकड़ की अपने रिहायशी परिसर में इसी डेस्क की तरह का डेस्क बनवाया है.

बातचीत के दौरान ओबामा ने कहा कि उप राष्ट्रपति जोए बाइडन ने उन्हें उनके घर के बारे में बताया और ओवल कार्यालय के राष्ट्रपति के डेस्क की प्रतिमूर्ति वाले डेस्क की तारीफ की.

ओबामा का फोन आने से पहले बाइडन बीते 11 जुलाई को इस्लाम के घर गए थे और उनके घर की तारीफ की थी.

इस्लाम ने कहा, ‘‘मेरा घर कोई आलीशान घर नहीं, बल्कि एक साधारण घर है. यह घर इस देश को समर्पित किया गया है.’’

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के रहने वाले इस्लाम महज 15 साल की उम्र में अमेरिका गए थे और उस वक्त उनके पास 500 डॉलर से भी कम थे. आज वह एक सफल कारोबारी हैं.
Azamgarh Bloggers Association @ http://azamgarhbloggers.blogspot.in/


रविवार, मार्च 16, 2014

होली पर्व की शुभकामनायें


रंग-बिरंगी होली आई !

खुशियों का खजाना लाई !!

*** होली पर्व की ढेरों शुभकामनायें. सभी द्वेष भूलकर आज के दिन हम सभी एक हों ***

सोमवार, फ़रवरी 10, 2014

आजमगढ़ को अंजुम पर नाज

शायर कैफी आजमी का आजमगढ़, बटाला हाउस कांड जैसे दूसरे अवांछित व अप्रिय कारणों का आजमगढ़ और अब अंजुम आरा का आजमगढ़। अंजुम के दादा इस्माइल शेख और दादी सितारुनिसां का आजमगढ़ और उनकी तरह अंजुम पर आजमगढ़ निहाल है।

कोई एक पल, कोई एक वाकया कैसे बड़े फलक पर असर दिखाता है, यह वर्ष 2012 में देश की दूसरी मुस्लिम महिला आई पी एस बनी अंजुम आरा की सफलता साबित करती है। उनके पैतृक गांव कम्हरिया में जश्न है। 

अंजुम हांलाकि शहर में पढ़ी नहीं हैं, लेकिन उनके पिता अयूब शेख की शिक्षा आजमगढ़ के इसी गाँव में हुई। बाबा-दादी व चाचा अधिवक्ता याकूब शेख अब भी गुलामी का पूरा मोहल्ले में रहते है। 1985 में पिता अयूब को ग्रामीण अभियंत्रण सेवा में अवर अभियंता की नौकरी मिली। पहली तैनाती सहारनपुर हुई तो वह वहीं बस गए। सहारनपुर में ही जन्मी अंजुम चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर की है। बड़े भाई परवेज शेख इंजीनियर हैं, जबकि छोटी बहन सलमा लखनऊ से एमबीए कर रही है। सबसे छोटी रेशमा लखनऊ में ही एमबीबीएस तृतीय वर्ष की छात्रा है।

अयूब भी इस समय लखनऊ में ही तैनात हैं। अंजुम की प्राथमिक शिक्षा गंगोह स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में हुई । इंटर सहारनपुर व स्नातक एवं बीटेक लखनऊ से किया। उसके बाद वह प्रशासनिक सेवा की तैयारी में लग गई। अयूब शेख बच्चों की सफलता का श्रेय अपने पिता को देते हैं। उनका कहना है कि हमारे पिता मामूली किसान थे पर उन्होंने खेती कर हम भाइयों को पढ़ाया।

उधर दादा इस्माइल शेख फूले नहीं समाते। अंजुम ने सारे जहाँ की खुशी झोली में डाल दी....... हम बहुत खुशकिस्मत हैं जो पोती की यह कामयाबी देख सके। वाकई आज अंजुम के परिवार ही नहीं, पूरे आज़मगढ़ को उन पर नाज है। 

साभार : दैनिक जागरण, 22 फरवरी, 2013