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बुधवार, फ़रवरी 16, 2011

आज़मगढ़! बहुत बदल गया यह शहर...

आज़मगढ़! बहुत बदल गया यह शहर. हमारे बचपन मे यह हरा-भरा और खूबसूरत शहर हुआ करता था. पर आज़कल इस शहर में भीड़ बढ़ती जा रही है.जब भी घर जाता हूं, इसे और भी शोरगुल और भीड़ से भरा हुआ पाता हूं. इस बार जब रिक्शे पर बैठकर स्टेशन से घर की ओर चला, तो सड़क पर कुछ ज्यादा ही शोरगुल दिखा.टौंस पर बने पुल पर नए किस्म की लाइटें लगी हुई थीं. उस बड़े से मैदान जो अग्रेज़ो के ज़माने में पोलो ग्राउड हुआ करता था, में चल रहा आज़मगढ़ महोत्सव समाप्त हो चुका था. गिरजाघर चौराहा का नाम अब न्याय चौराहा हो चुका था. आज़मगढ़ महोत्सव इस बार काफ़ी भव्य रहा और हंगामेखेज भी. विवेकानंद की तस्वीर स्टेज पर रखने और स्कूली बच्चों द्वारा खेले जा रहे नाटक में सीता के जींस-टाप पहनने को लेकर खूब बवाल मचा।
देश के दूसरे हिस्सों की तरह यहां भी लोग धार्मिक रूप से काफ़ी संवेदनशील हो चुके हैं. हर बार की तरह इस बार भी टौंस नदी के घाट पर दोस्तों के साथ देर तक बैठा रहा. नाव की सैर की. नदी में नहाना भी चाहता था लेकिन अब टौंस का पानी इतना गदा हो चुका है कि नहाने लायक नहीं रहा. टौंस गंदी और छिछ्ली होती जा रही है. हमारे बचपन में टौंस के किनारे खेती होती थी अब इसके किनारे पर घर बनते जा रहे हैं. यही हाल रहा तो कुछ सालों में यह नदी गंदे नाले में बदल जाएगी. काश हम अपनी नदी तालाबों के प्रति भी थोड़े संवेदनशील हो पाते।


साभार : ब्रजेश का चायघर

6 टिप्‍पणियां:

  1. बदलाव तो प्रकृति का नियम है...

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  2. सच अब ये शहर काफी बदल चुका है तथा नये स्वरुप में विकास भी कर रहा है. पहले की अपेक्षा काफी भीड़ -भाड़ और चहल पहल भी बढ गई है. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति............

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  3. बहुत ही बढ़िया बात कही हैं आपने. आज कल आजमगढ़ ही नहीं अपितु पुरे देश के नदियों और तालाबो का येही हैं.

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  4. मैं भी आजमगढ़ जाउंगी तो देखूंगी....
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  5. यही हाल रहा तो कुछ सालों में यह नदी गंदे नाले में बदल जाएगी. काश हम अपनी नदी तालाबों के प्रति भी थोड़े संवेदनशील हो पाते। ...Vakai sochniy !!

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  6. बेनामी1/3/11 4:22 pm

    Shahar to badla hai lekin iski khasiyt ab bhi wahiu hai.

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