आज़मगढ़ ने तमाम साहित्यिक विभूतियों को पल्लवित-पुष्पित किया है।
इन्हीं में से एक प्रमुख नाम है- कवि सम्राट पंडित अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का। 'हरिऔध' जी की स्मृति में भारतीय
डाक विभाग ने 2 मार्च, 2013 को "आजमगढ़ डाक टिकट प्रदर्शनी” (आजमपेक्स-2013) के दौरान एक विशेष डाक आवरण
और विरूपण जारी किया। उत्तर प्रदेश परिमंडल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल कर्नल कमलेश
चन्द्र ने इलाहाबाद/गोरखपुर परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ एवं चर्चित
साहित्यकार व ब्लागर कृष्ण कुमार यादव की अध्यक्षता में आयोजित एक कार्यक्रम में
इस विशेष डाक आवरण का विमोचन किया।
चर्चित साहित्यकार एवं ब्लागर व सम्प्रति निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने इस अवसर पर हरिऔध जी के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि हरिऔध
जी ने गद्य और पद्य दोनों ही क्षेत्रों में हिंदी की सेवा की। वे द्विवेदी युग के
प्रमुख कवि रहे है। उन्होंने सर्वप्रथम खड़ी बोली में काव्य-रचना करके यह सिद्ध कर
दिया कि उसमें भी ब्रजभाषा के समान खड़ी बोली की कविता में भी सरसता और मधुरता आ
सकती है।
श्री यादव ने कहा कि हरिऔध जी आधुनिक हिंदी खड़ी बोली के पितामह हैं।
उन्होंने खड़ी बोली के प्रथम महाकाव्य 'प्रिय प्रवास' की रचना
करके साहित्य-जगत में शीर्ष स्थान प्राप्त किया । आज भी हरिऔध जी का काव्य ग्रंथ 'प्रिय प्रवास' तथा 'वैदेही वनवास' हिंदी खड़ी भाषा के मील के
पत्थर के रुप में स्वीकार किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि हरिऔध जी ने विविध
विषयों पर काव्य रचना की है। यह उनकी विलक्षण विशेषता है कि उन्होंने राम-सीता, कृष्ण-राधा जैसे धार्मिक
विषयों के साथ-साथ आधुनिक समस्याओं को भी अपनी रचनाओं में लिया है और उन पर नवीन
ढंग से अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। वास्तव में देखा जाये तो प्राचीन और आधुनिक
भावों के मिश्रण से 'हरिऔध' जी के काव्य में एक अद्भुत
चमत्कार उत्पन्न हो गया है।
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