शायरी _१
मुस्करा उठता है सारा जमाना
उनकी ईक मुस्कराहट पर
थोडा सा हम जो मुस्करा दिये
"उपेन्द्र " तो वो रूठ गये बुरा मान कर ।।
शायरी _२
कल रात कटी बडी मुस्किल सेआज न जाने क्या हाल होगा ।
मगर अफसोस मेरी इस बेबशी का
"उपेन्द्र" उनको न जरा भी ख्याल होगा।।
मगर अफसोस मेरी इस बेबशी का
"उपेन्द्र" उनको न जरा भी ख्याल होगा।।
शायरी _३
नाराज होकर वो चले गये वों आज मुझसेबोलते थे दिल चीरकर दिखाइये तो यकीं आये
मैं डरता रहा कि अगर दिल चीरकर दिखाया तो "उपेन्द्र"
कहीं उनकी तस्वीर निकलकर धूल में ना गिर जाये ।।
मैं डरता रहा कि अगर दिल चीरकर दिखाया तो "उपेन्द्र"
कहीं उनकी तस्वीर निकलकर धूल में ना गिर जाये ।।
शायरी _४
दुशमनों से क्या उम्मीद उनका काम ही था जलानावह चले गये घर हमारा जलाकर
अब उम्मीद अपने दोस्तों पर "उपेन्द्र"
अब उम्मीद अपने दोस्तों पर "उपेन्द्र"
मगर सब तमाशा देख रहे थे तालियां बजाकर ।।
.
वाह, आप तो खूब शायरी लिखते हैं..बधाई.
जवाब देंहटाएंFantastic Shayaris...Congts.
जवाब देंहटाएं