आजमगढ़: ‘‘यह मस्जिद है, वह बुतखाना। या ये मानो या वो मानो। तुम्हें है एक ही राह जाना चाहे यह मानो या वो मानो।’’....अयोध्या नगरी के पड़ोसी जिले आजमगढ़ की फिजा यह एहसास कराती है कि कैसे वहां जब एक ही स्थान पर शिवालय की घंटिया, मस्जिद से उठती अजान की आवाज माहौल में साम्प्रदायिक एकता का रस घोलती है तो गुरूद्वारा भी खुशी से झूम ‘वाहे गुरू’ कह उठता है।
‘यह मस्जिद है, वह बुतखाना’ का फलसफा हमारी गंगा-जमुनी तहजीब का हिस्सा है और निजामाबाद में एक ही स्थान पर दो मस्जिदें, कई मंदिर और गुरूनानक की तपोस्थली साम्प्रदायिक एकता का सन्देश दूर तलक फैलाती है।
अयोध्या के विवादित स्थल के मालिकाना हक पर न्यायालय के फैसले को लेकर दुनिया की निगाहे अयोध्या पर टिकी हैं। तमाम तरह की आशंकाएं सरकार और समाज को भले ही कुछ सोचने पर मजबूर कर रही हों लेकिन अयोध्या के इस पड़ोसी जिले के बाशिंदे इन हालात के लिये धर्म के ठेकेदारों, वोट के सौदागरों और मीडिया के उस वर्ग को दोषी ठहराते हैं जो नकारात्मक बातों को सुखिर्यां बनाती है जिनसे अनावश्यक गलतफहमियां और दूरी पैदा होती है।
अयोध्या से महज 140 किलोमीटर दूर आजमगढ के लोग तो कुछ उत्सुक जरूर हैं मगर किसी प्रकार की क्रिया प्रतिक्रिया और नकारात्मक बातों को सिरे से खारिज करते हैं। हम बात कर रहे है आजमगढ़ जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर स्थित टाउन एरिया निजामाबाद की जो तमसा नदी के किनारे बसा है।
‘यह मस्जिद है, वह बुतखाना’ का फलसफा हमारी गंगा-जमुनी तहजीब का हिस्सा है और निजामाबाद में एक ही स्थान पर दो मस्जिदें, कई मंदिर और गुरूनानक की तपोस्थली साम्प्रदायिक एकता का सन्देश दूर तलक फैलाती है।
अयोध्या के विवादित स्थल के मालिकाना हक पर न्यायालय के फैसले को लेकर दुनिया की निगाहे अयोध्या पर टिकी हैं। तमाम तरह की आशंकाएं सरकार और समाज को भले ही कुछ सोचने पर मजबूर कर रही हों लेकिन अयोध्या के इस पड़ोसी जिले के बाशिंदे इन हालात के लिये धर्म के ठेकेदारों, वोट के सौदागरों और मीडिया के उस वर्ग को दोषी ठहराते हैं जो नकारात्मक बातों को सुखिर्यां बनाती है जिनसे अनावश्यक गलतफहमियां और दूरी पैदा होती है।
अयोध्या से महज 140 किलोमीटर दूर आजमगढ के लोग तो कुछ उत्सुक जरूर हैं मगर किसी प्रकार की क्रिया प्रतिक्रिया और नकारात्मक बातों को सिरे से खारिज करते हैं। हम बात कर रहे है आजमगढ़ जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर स्थित टाउन एरिया निजामाबाद की जो तमसा नदी के किनारे बसा है।
रविवारीय महाबुलेटिन में 101 पोस्ट लिंक्स को सहेज़ कर यात्रा पर निकल चुकी है , एक ये पोस्ट आपकी भी है , मकसद सिर्फ़ इतना है कि पाठकों तक आपकी पोस्टों का सूत्र पहुंचाया जाए ,आप देख सकते हैं कि हमारा प्रयास कैसा रहा , और हां अन्य मित्रों की पोस्टों का लिंक्स भी प्रतीक्षा में है आपकी , टिप्पणी को क्लिक करके आप बुलेटिन पर पहुंच सकते हैं । शुक्रिया और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंBahut sundar shabdon men vyakhya...badhai.
जवाब देंहटाएंयहाँ का सांप्रदायिक सौहार्द्य बना रहे यही दुआ है. निजामाबाद के बारे में अच्छी जानकारी.
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