कार्यक्रम कि अध्यक्षता करते हुए जवाहर लाल नेहरु राजकीय महाविद्यालय, पोर्टब्लेयर में राजनीति शास्त्र विभागाध्यक्ष डा. आर. एन. रथ ने कहा कि प्रशासन के साथ-साथ साहित्यिक दायित्वों का निर्वहन बेहद जटिल कार्य है पर श्री कृष्ण कुमार यादव ने अल्प समय में ही अंडमान में अपने कार्य-कलापों से विशिष्ट पहचान बनाई है. उन्होंने अपने रचनात्मक अवदान से द्वीपों में चल रही गतिविधियों को मुख्य भूमि से जोड़ा और यहाँ के ऐतिहासिक व प्राकृतिक परिवेश, सेलुलर जेल, आदिवासी, द्वीपों में समृद्ध होती हिंदी इत्यादि तमाम विषयों पर न सिर्फ प्रखरता से लेखनी चलाई बल्कि उसे तमाम राष्ट्रीय-अन्तराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट पर प्रसारित कर यहाँ के सम्बन्ध में लोगों को रु-ब-रु कराया. श्री यादव के साथ-साथ जिस तरह से इनकी पत्नी श्रीमती आकांक्षा यादव ने नारी-विमर्श को लेकर कलम चलाई है, ऐसा युगल विरले ही देखने को मिलता है. आकाशवाणी के पूर्व निदेशक श्री एम्.एच. खान ने अपने संबोधन में कहा कि जिस प्रकार से बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी श्री यादव अपनी प्रशासनिक व्यस्तताओं के मध्य साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं, वह नई पीढ़ी के लिए अनुकरणीय है. आकाशवाणी, पोर्टब्लेयर के उप निदेशक (समाचार) श्री दुर्गा विजय सिंह 'दीप' ने उन तमाम गतिविधियों को रेखांकित किया, जो श्री यादव ने द्वीपों में निदेशक के पद पर अधीन रहने के दौरान किया. डाकघरों का कम्प्यूटरीकरण और उन्हें प्रोजेक्ट एरो के अधीन लाना, डाक-कर्मियों हेतु प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना, डाकघर से 'आधार' के तहत नामांकन, अंडमान के साथ-साथ सुदूर निकोबार में आदिवासियों के बीच जाकर उन्हें बचत और बीमा सेवाओं के प्रति जागरूक करना और उनके खाते खुलवाना, स्कूली बच्चों को पत्र-लेखन से जोड़ने के लिए तमाम रचनात्मक पहल और उन्हें डाक-टिकटों के प्रति आकर्षित करने के लिए तमाम कार्यशालों का आयोजन इत्यादि ऐसे तमाम पहलू रहे, जहाँ निदेशक के रूप में श्री यादव के प्रयास को न सिर्फ आम-जन ने सराहा बल्कि मीडिया ने भी नोटिस लिया. उन्होंने श्री यादव के सपरिवार साहित्यिक जगत में सक्रिय होने और आकाशवाणी पर निरंतर कार्यक्रमों की प्रस्तुति देने के लिए भी सराहा. 'चेतना' संस्था के महासचिव श्री घनश्याम सिंह ने श्री कृष्ण कुमार यादव के 'चेतना' सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था से लगाव पर सुखद हर्ष व्यक्त किया और कहा कि उनके प्रगतिशील दृष्टिकोण से हमारे कार्यक्रमों को नई दिशा मिली. चर्चित कवयित्री और प्रशासन में सहायक निदेशक श्रीमती डी. एम. सावित्री ने श्री कृष्ण कुमार यादव को एक संवेदनशील व्यक्तित्व बताते हुए कहा कि वे अधिकारी से पहले एक अच्छे व्यक्ति हैं और यही उन्हें विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु प्रेरित भी करती है. यह एक सुखद संयोग है कि उनके पीछे विदुषी पत्नी आकांक्षा यादव जी का सहयोग सदा बना रहता है.
अपने भावभीनी विदाई समारोह से अभिभूत श्री कृष्ण कुमार यादव ने इस अवसर पर कहा कि अंडमान में उनका यह कार्यकाल बहुत खूबसूरत रहा, इसके बहाने ऐसी तमाम बातों और पहलुओं से रु-ब-रु होने का अवसर मिला, जिनके बारे में मात्र पढ़ा ही था. इस दौरान यहाँ से बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। श्री यादव ने कहा कि यहाँ के परिवेश में न सिर्फ मेरी सृजनात्मकता में वृद्धि की बल्कि उन्नति की राह भी दिखाई। उन्होंने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में अपने अनुभवों और यहाँ के जन-जीवन पर एक पुस्तक लिखने की भी इच्छा जताई. श्री यादव ने कहा कि वे विभागीय रूप में भले ही यहाँ से जा रहे हैं पर यहाँ के लोगों और अंडमान से उनका भावनात्मक संबंध हमेशा बना रहेगा।
इस अवसर पर एक काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें सर्वश्री घनश्याम सिंह, मकसूद आलम, अनिरुद्ध पांडे, अरविंद त्रिपाठी, श्रीमती डी.एम. सावित्री, श्री दुर्ग विजय सिंह ‘दीप’ इत्यादि ने अपनी अपनी कविताएं पढ़ी। श्री कृष्ण कुमार यादव ने भी अपनी कविताओं और हाइकु से लोगों का मन मोहा. अंडमान के आदिवासियों पर आधारित उनकी कविता ने लोगों को बड़ा प्रभावित किया ।
कार्यक्रम का सञ्चालन श्री अशोक सिंह और आभार-ज्ञापन श्री नीरज बैद्य द्वारा किया गया.
- दुर्ग विजय सिंह 'दीप'
उप निदेशक- आकाशवाणी (समाचार)
पोर्टब्लेयर, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह.
इलाहाबाद के लिए शुभकामनाये..........
जवाब देंहटाएंकृष्ण कुमार यादव जी एक लोकप्रिय अधिकारी हैं. जहाँ भी रहते हैं, छाये रहते हैं. इस उपलब्धि पर हार्दिक बधाइयाँ. इलाहाबाद तो वैसे भी साहित्य और कला की नगरी है.
जवाब देंहटाएंकृष्ण कुमार सर की कानपुर से अंडमान की विदाई में शामिल हुई थी. वे ट्रांसफर होकर इलाहाबाद आ रहे हैं, जानकर अच्छा लगा..बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंकृष्ण कुमार जी का अभिनंदन है इलाहाबाद में ........नजदीक आने पर और ख़ुशी हुयी ...उनके अनुभव रचनात्मकता और सृजनात्मकता में संगी रहे
जवाब देंहटाएंआकांशा और पाखी को भी ढेर सारी शुभ कामनाएं ...हमारा हिंदी जगत और बढे फूले फले
भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
कृष्ण कुमार यादव जी ..बधाई. इलाहाबाद आपका इंतजार कर रहा है.
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