वो पूछते हैं मुझसे
मेरी गजलों में
छिपे दर्द का राज
उन्हें ये नहीं मालुम
उन्हीं का था
दिया हुआ जख्म
जो इस दिल में
रोज होता रहा इकठ्ठा
वही एक दिन बनकर
दो बूंद आंसू
कागज पर गिर पडा
फिर गजल बन गई ।। उपेन्द्र 'उपेन'
मेरी गजलों में
छिपे दर्द का राज
उन्हें ये नहीं मालुम
उन्हीं का था
दिया हुआ जख्म
जो इस दिल में
रोज होता रहा इकठ्ठा
वही एक दिन बनकर
दो बूंद आंसू
कागज पर गिर पडा
फिर गजल बन गई ।। उपेन्द्र 'उपेन'
खूबसूरत गजल ..बधाई.
जवाब देंहटाएं