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रविवार, दिसंबर 22, 2013

आज़मगढ़ की गलियों से ओबामा की दोस्ती तक

बराक ओबामा के कई भारतीय मित्र हैं और इन्ही में से एक नाम है आजमगढ़ के फ्रैंक इस्लाम का. जो अब अमरीका के हो गए हैं.
फ्रैंक इस्लाम अमरीका में बसने वाली पहली पीढ़ी से हैं और ओबामा के करीबी मित्र भी हैं. लेकिन सिर्फ इतने भर से ही उनका परिचय खत्म नहीं होता.
फ्रैंक अमरीका में रहने वाले भारतीयों के बीच भी खासे चर्चित और प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं जिनका नाम मिसाल के तौर लिया जाता है.
वो अमरीका में एक सॉफ्टवेयर कंपनी चलाते हैं और करोड़ों डॉलर के मालिक और बड़े निवेशकों में से एक हैं.
वैसे, फ्रैंक अमरीका में जितने जाने जाते हैं उतने ही अपने आजमगढ़ में भी.
उनका जब भी भारत आना होता है वो आजमगढ़ की निजी संस्थाओं को मोटी रकम देकर जाते हैं.

छोटा समुदाय,बड़ा चंदा

चार साल पहले हुए राष्ट्रपति चुनाव में 30 लाख भारतीयों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और 84 प्रतिशत भारतीयों की पसंद ओबामा थे.
अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस चुनाव में भारतीयों का रुख क्या होगा.
फ्रैंक कहते हैं, "हमें विश्वास है कि इस बार भी बराक ओबामा को दोबारा जिताने में भारतीय और पाकिस्तानी समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
ओबामा को वर्जीनिया राज्य से सबसे अधिक चंदा देने वालों में एक नाम फ्रैंक का भी है. फ्रैंक के लिए ओबामा की जीत काफी मायने रखते हैं. फ्रैंक कहते हैं, "मैं बराक ओबामा की चुनावी मुहिम में काफी फंड देता हूँ."

मिशेल की दोस्त

"
फ्रैंक इस्लाम को अमरीका मे रहते हुए 35 साल हो गए हैं. वो अमरीका पढ़ाई करने आए थे और बस यहीं के होकर रह गए.
उनकी पत्नी देबी और उनका 30 सालों का साथ है. व्हाइट हाउस में बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा के साथ अपनी तस्वीर गर्व से दिखाते हुए वो कहते हैं, "वो देखिए सुनहरे बालों वाली मेरी पत्नी राष्ट्रपति के बगल में खड़ी हैं"

प्रभावशाली भारतीय तबका

अमरीका में भारतीय समुदाय छोटा ज़रूर है लेकिन काफी प्रभावशाली है. अमरीका में एक आदमी की औसतन आय सलाना 49 हज़ार डॉलर है लेकिन भारतीयों की सलाना औसत कमाई 88 हज़ार डॉलर है.
फ्रैंक इस्लाम उन लोगों में से हैं जिनके पास पैसे भी हैं और राजनीतिक कनेक्शन भी. वो कहते हैं,"जब भी कोई बड़ी पार्टी होती है तो राष्ट्रपति ओबामा हमें ज़रूर बुलाते हैं".
वो भारतीय समुदाय और राष्ट्रपति के बीच एक कड़ी का काम करते हैं. वो कहते हैं कि उनका काम भारतीयों की तकलीफों और शिकायतों को राष्ट्रपति तक पहुंचाना भी है.
अपने आलीशान दफ्तर में बैठ कर फ्रैंक इस्लाम कहते हैं कि ओबामा की जीत अनिवार्य हैं और उन्हें पता है कि ओबामा लोगों के बीच अब भी लोकप्रिय हैं.

मंगलवार, दिसंबर 17, 2013

भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा कृष्ण कुमार यादव का सम्मान

एक और सम्मान …… भारतीय दलित साहित्य अकादमी ने इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ एवं युवा साहित्यकार श्री कृष्ण कुमार यादव को दिल्ली में 12-13 दिसम्बर, 2013 को आयोजित 29वें राष्ट्रीय दलित साहित्यकार सम्मेलन में सामाजिक समरसता सम्बन्धी लेखन, विशिष्ट कृतित्व एवं समृद्ध साहित्य-साधना और सामाजिक कार्यों में रचनात्मक योगदान हेतु ‘’भगवान बुद्ध राष्ट्रीय फेलोशिप सम्मान-2013‘‘ से सम्मानित किया। इससे पूर्व श्री यादव को विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक-सामाजिक संस्थानों द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु 50 से ज्यादा सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं। 

गौरतलब है कि आज़मगढ़ से निकली तमाम शख्शियतें देश-विदेश में विभिन्न क्षेत्रों में अपनी शोहरत की पताका फहरा रही हैं. इन्हीं में एक नाम उभरकर सामने आता है कृष्ण कुमार यादव का. सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य, लेखन, ब्लागिंग व सोशल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय 36 वर्षीय श्री कृष्ण कुमार यादव की अब तक कुल 6 पुस्तकें- ”अभिलाषा” (काव्य संग्रह), ”अभिव्यक्तियों के बहाने” व ”अनुभूतियाँ और विमर्श” (निबंध संग्रह), इण्डिया पोस्ट: 150 ग्लोरियस ईयर्ज (2006) एवं ”क्रांतियज्ञ: 1857-1947 की गाथा” (2007), ”जंगल में क्रिकेट” (बालगीत संग्रह) प्रकाशित हैं। इनकी रचनाधर्मिता को देश-विदेश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, इंटरनेट पर वेब पत्रिकाओं व ब्लॉग पर निरंतर देखा-पढा जा सकता हैं। 

शनिवार, दिसंबर 14, 2013

आकांक्षा यादव ‘’भगवान बुद्ध राष्ट्रीय फेलोशिप सम्मान-2013‘‘ से सम्मानित

आज़मगढ़ से निकली तमाम शख्शियतें देश-विदेश में विभिन्न क्षेत्रों में अपनी शोहरत की पताका फहरा रही हैं. इन्हीं में एक नाम उभरकर सामने आता है अपनी रचनाओं में नारी सशक्तीकरण  की  अलख जगाने वाली  युवा कवयित्री, साहित्यकार एवं अग्रणी महिला  ब्लागर आकांक्षा यादव का, जिन्हें दिल्ली में 12-13 दिसम्बर, 2013 को आयोजित 29वें राष्ट्रीय दलित साहित्यकार सम्मेलन में सामाजिक समरसता सम्बन्धी लेखन, विशिष्ट कृतित्व एवं समृद्ध साहित्य-साधना और सामाजिक कार्यों में रचनात्मक योगदान हेतु भारतीय दलित साहित्य अकादमी ने ‘’भगवान बुद्ध राष्ट्रीय फेलोशिप सम्मान-2013‘‘ से सम्मानित किया। आकांक्षा यादव को इससे पूर्व विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक-सामाजिक संस्थानों द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु दर्जनाधिक  सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं। 

गौरतलब है कि नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष रूचि रखने वाली आकांक्षा यादव साहित्य, लेखन, ब्लागिंग व सोशल मीडिया के क्षेत्र में एक लम्बे समय से सक्रिय हैं। देश-विदेश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट पर वेब पत्रिकाओं व ब्लॉग पर आकांक्षा यादव की विभिन्न विधाओं में रचनाएँ निरंतर प्रकाशित होती रहती है। आकांक्षा यादव की 2 कृतियाँ ”चाँद पर पानी” (बालगीत संग्रह) एवं ”क्रांतियज्ञ: 1857-1947 की गाथा” प्रकाशित हैं।

भारतीय दलित साहित्य अकादमी की स्थापनावर्ष 1984 में बाबू जगजीवन राम द्वारा दलित साहित्य के संवर्धन  और प्रोत्साहन हेतु  की गयी थी।