हर
डाक टिकट की अपनी एक कहानी है और इस कहानी को वर्तमान पीढ़ी के साथ जोड़ने की
जरुरत है। इसी परंपरा में डाक विभाग द्वारा दो दिवसीय ”आजमगढ़ डाक टिकट प्रदर्शनी” (आजमपेक्स-2013) का उद्घाटन 2 मार्च 2013 को वेस्ली इंटर कॉलेज, आजमगढ़ में किया गया। प्रदर्शनी का
उद्घाटन द्वीप प्रज्वलित कर और फीता काटकर, उ.प्र. परिमंडल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल,
कर्नल कमलेश चन्द्र द्वारा इलाहाबाद एवं
गोरखपुर परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव की अध्यक्षता में
आयोजित भव्य कार्यक्रम में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ बच्चियों द्वारा
सरस्वती वंदना गाकर किया गया।
इस
प्रदर्शनी में फिलेटलिस्टों द्वारा तमाम डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगायी गयी। कुल 84
फ्रेमों में हजारों की संख्या में
डाक-टिकट प्रदर्शित किए गये। इनमें डाक-टिकटों के माध्यम से सिनेमा के 100 वर्ष, भारत की महान नारी विभूतियाँ, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर जारी डाक
टिकट, भारतीय स्वतंत्रता
संग्राम पर जारी
डाक टिकट, भारत के प्रिंस-स्टेट,
विश्व के जंगी जहाज, विश्व की रेलवे प्रणालियाँ, क्वींस बैटन, इलाहाबाद से संबंधित विषयों पर जारी
डाक-टिकटों से लेकर जैव विविधता, रोटरी,
स्काउट एवं गाइड, रेड क्रास और एड्स, इत्यादि के विरूद्ध जागरूक करते तमाम
रंग-बिरंगे डाक-टिकट प्रदर्शित किये गये। इनमें सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों
द्वारा जारी दुर्लभ डाक-टिकट व डाक-स्टेशनरी भी शामिल थे। प्रदर्शनी में वरिष्ठ फिलेटलिस्टों के
अलावा तमाम बच्चों ने भी अपने डाक-टिकटों का प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि आजमगढ़
में 9 वर्ष बाद इस तरह की
प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इससे पूर्व वर्ष 2004 में डाक टिकट प्रदर्शनी आयोजित हुयी थी।
प्रदर्शनी
के उद्घाटन पश्चात् आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि उ.प्र.
परिमंडल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल, कर्नल
कमलेश चन्द्र ने कहा कि डाक विभाग सुदूर एवं छोटे-छोटे शहरों में भी डाक-टिकटों के
प्रति अभिरुचि पैदा करने हेतु डाक टिकट प्रदर्शनी आयोजित करता है, ताकि आम जन को इससे जोड़ा जा सके।
उन्होंने आजमगढ़ की गौरवशाली परम्परा के प्रचार-प्रसार व इसे समृद्ध करने पर जोर
दिया। इस कड़ी में डाक-टिकट प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। कर्नल कमलेश चन्द्र ने इस
प्रकार की प्रदर्शनियों को नियमित अंतराल पर आयोजित करने पर जोर दिया, ताकि अभिरुचि के रूप में फिलेटली का
विकास हो सके।
इलाहाबाद
परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवायें कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि सामान्यतः डाक टिकट
एक छोटा सा कागज का टुकड़ा दिखता है,
पर इसका महत्व और कीमत दोनों ही इससे काफी ज्यादा है । डाक
टिकट वास्तव में एक नन्हा राजदूत है,
जो विभिन्न देशों का भ्रमण करता है एवम् उन्हें अपनी सभ्यता,
संस्कृति और विरासत से अवगत कराता है।
निदेशक यादव ने कहा कि डाक टिकटों के द्वारा ज्ञान भी अर्जित किया जा सकता है। यह
हमारी शिक्षा प्रणाली को और भी मजबूत बना सकते हैं।
इस
अवसर पर बच्चों हेतु फिलेटलिक वर्कशाप व कला प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।
बच्चों ने जहाँ डाक टिकट प्रदर्शनी का आनंद लिया, वहीं फिलेटलिक डिपाजिट एकाउण्ट भी खोले
गये। देर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत संगीत.संध्या का भी लोगों ने लुत्फ
उठाया।
कार्यक्रम
में अतिथियों का स्वागत प्रवर डाक अधीक्षक आजमगढ़ श्री वाई एन द्विवेदी एवं आभार
ज्ञापन सहायक निदेशक त्रिवेणी प्रसाद ने किया। कार्यक्रम का संचालन एस एन मिश्रा
ने किया। इस अवसर पर सीनियर पोस्टमास्टर जी एन प्रसाद, राजेश यादव, साहित्यकार डा0 कन्हैया सिंह, जगदीश प्रसाद बर्नवाल 'कुंद' , डी एन लाल एवं जे एम सिन्हा, अनवर जमाल सहित डाक विभाग के तमाम अधिकारी, कर्मचारी, विद्वतजन, पत्रकार एवं फिलेटिलिस्ट इत्यादि
उपस्थित थे।
(दैनिक जागरण, 3 मार्च 2013 में प्रकाशित विस्तृत ख़बर)